Game Changer Review: शंकर की रंगीन ट्रिक्स से भरी रूटीन कहानी, राम चरण की एक्टिंग ने डाली जान – game changer review ram charan lifts up routine political drama by shankar which is full of little tricks visually ntcpsm


अपने करियर में इंडियन सिनेमा को एक से बढ़कर एक ग्रैंड फिल्में देते आ रहे डायरेक्टर शंकर, एक मामले में जादूगर शंकर से कम नहीं हैं- उनके पास हर मोमेंट एक नई ट्रिक होती है. और उनकी इन ट्रिक्स ने राम चरण स्टारर ‘गेम चेंजर’ को कई बड़े रंगीन, ग्रैंड और ‘वाओ’ लगने वाले मोमेंट दिए हैं. 

राम चरण 6 साल बाद बड़े पर्दे पर एक सोलो फिल्म के साथ लौटे हैं. एस.एस. राजामौली की ऑस्कर विनर ‘RRR’ और अपने पिता की फिल्म ‘आचार्य’ में लम्बे कैमियो से पहले, वो आखिरी बार 2019 में रिलीज हुई ‘विनय विधेय राम’ में सोलो हीरो थे. और आखिरी बार जब वो अकेले हीरो थे तब उनके साथ लीड एक्ट्रेस कियारा अडवाणी थीं, जो ‘गेम चेंजर’ में भी उनके साथ हैं. 

स्क्रीन पर दोनों साथ में एक खूबसूरत जोड़ी बनाते हैं. लेकिन ‘गेम चेंजर’, शंकर की सिग्नेचर कमर्शियल स्टाइल फिल्म है और ऐसी फिल्मों में सारा वजन और फोकस सिर्फ हीरो पर ही होता है. और इस फिल्म में राम चरण आपका फोकस पकड़कर रखते हैं. पर क्या एक कंप्लीट-पैकेज के तौर पर ‘गेम चेंजर’ ध्यान बांध पाई?

किस ‘गेम’ को चेंज करने चले हैं राम चरण?
राम नंदन (राम चरण), तमाम कमर्शियल फिल्मों की तरह अपने विस्फोटक गुस्से को मैनेज करने में नाकाम, लेकिन नीयत और नैतिकता का साफ लड़का है जो कुछ गलत होते नहीं देख सकता. दीपिका (कियारा) उसकी लव इंटरेस्ट है जिसका काम हर मसाला फिल्म की तरह हीरो की एनर्जी को सही दिशा दिखाना है. राम पढ़ाई करके पहले आई.पी.एस और फिर आई.ए.एस. बनता है. 

अपने ही डिस्ट्रिक्ट का कलेक्टर बनकर आया राम एक दिन में सारा करप्शन खत्म कर देना चाहता है, जैसा शंकर की फिल्मों के हीरो करते रहे हैं. इस चक्कर में वो एक पॉलिटिशियन, मोपीदेव (एस. जे. सूर्या) से टकरा जाता है जो महाभ्रष्ट है और मुख्यमंत्री सत्यमूर्ति (श्रीकांत) का बेटा है. लेकिन मुख्यमंत्री को जवानी में किए अपने कुछ पापों का प्रायश्चित करना है और इसलिए उसने अपनी पूरी कैबिनेट को ईमानदार हो जाने के लिए कहा है. ऐसे में मोपीदेव सिर्फ अपने खुराफाती दिमाग और काले कामों के भरोसे नर्क मचाने को तैयार है. राम इस पॉलिटिकल पावर से कैसे डील करेगा? मुख्यमंत्री को अचानक से अपने कौन से पाप याद आने लगे हैं, क्या राम की कहानी से उसका कोई कनेक्शन है? यही कहानी का मुद्दा है. यहां देखें ‘गेम चेंजर’ का ट्रेलर:

अपना पुराना गेम, चेंज कर पाए शंकर?
अपनी पहली ही फिल्म ‘द जेंटलमैन’ से शंकर एक ही झटके में सोशल चेंज लाने वाले हीरो दिखाते रहे हैं. ये सिलसिला ‘इंडियन’, ‘नायक’ और ‘शिवाजी: द बॉस’ जैसी फिल्मों में भी चलता रहा. इस बार शंकर का फोकस सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने वाली चुनावी पॉलिटिक्स है. कहानी का मुख्य कनफ्लिक्ट इसी बात पर है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का सपना बचपन से देख रहा एक पॉलिटिशियन. कितने लेवल पर चुनावों और वोटिंग प्रोसेस को बिगाड़ने के लिए तैयार है. 

फिल्म का हीरो लगातार इस चैलेन्ज से लड़ता जा रहा है. एक एंगल लिगेसी पॉलिटिक्स बनाम जनता का नेता वाला भी है. लेकिन ये सब फिल्म के सेकंड हाफ में आता है. जहां एक बेहतरीन फ्लैशबैक स्टोरी है, जो कहानी की जान है. इस हिस्से में राम चरण और एक्ट्रेस अंजलि का काम बहुत दमदार है. मगर ये सेकंड हाफ ही वो हिस्सा है जहां फिल्म बहुत खिंची हुई भी लगती है क्योंकि बहुत सारे एलिमेंट हीरो की नैतिकता के हिसाब से ही फिट नहीं बैठते. इसी हिस्से में ‘जारागंडी’ गाना है जिसकी पिक्चराइजेशन इंटरेस्टिंग है, लेकिन कोरियोग्राफी काफी अजीब.

लोकतंत्र के उत्सव यानी चुनाव में वोटिंग प्रोसेस की ईमानदारी बचाने चला हीरो, एक जगह लोगों को कह रहा है कि इस बार भ्रष्ट नेताओं से वोट के बदले मिलने वाले नोट और ज्यादा लें, ताकि वो खाली हो जाएं. फिल्म में कुछ और भी जगहें हैं जिनमें चीजें थोड़ी ज्यादा ओवर द टॉप चली गई हैं. स्टोरीटेलिंग में सुविधाजनक तरीके से हीरो को अचानक इलेक्शन कमिश्नर बना देना तो फिर भी पचाया जा सकता है. लेकिन विलेन को पीछे छोड़ने के लिए वो काउंटिंग ऑफिसर्स से गड़बड़ियां करवाने को भी तैयार है.

स्क्रीनप्ले में इस तरह की चीजें फिल्म के फ्लो से ज्यादा ध्यान, चीजों के रियल प्रोसेस की तरफ खींचने लगती हैं. ऐसे में ना सिर्फ अपना अविश्वास साइड रखकर फिल्म एन्जॉय करना मुश्किल हो जाता है, बल्कि फिल्म के हीरो का कद भी घटने लगता है. ऊपर से दिक्कत ये है कि हीरो और विलेन में एक दूसरे को पछाड़ने की रेस ज्यादा ही लंबी खिंच जाती है और क्लाइमेक्स के लिए इंतजार लंबा होता चला जाता है.  

मगर फिल्म का फर्स्ट हाफ शंकर का सिग्नेचर सिनेमा है. उन्होंने ‘गेम चेंजर’ के प्रमोशन के दौरान एक इंटरव्यू में कहा था कि रील्स ने लोगों का अटेंशन स्पैन बहुत कम कर दिया है. इसलिए उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई है जो इस अटेंशन स्पैन के हिसाब से चलेगी. एक दर्शक के तौर पर ये बात, ‘गेम चेंजर’ से थोड़ा सतर्क कर देने वाली चीज थी. लेकिन फिल्म का फर्स्ट हाफ असल में बहुत दिलचस्प है. इसी हिस्से में राम चरण और कियारा की कहानी है, जो बहुत इंटरेस्टिंग नहीं है. मगर स्क्रीन पर आपके सामने इतना कुछ घट रहा है कि ध्यान लगा रहता है. इस लव स्टोरी का पूरा पॉइंट ये है कि इतिहास में ये पहला लड़का है जो गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए सरकारी परमिशन लेता है. 

स्क्रीन पर खूब कलर्स हैं, गानों के विजुअल बहुत इनोवेटिव हैं. एक लिमिट के बाद आपका ध्यान तोड़ने से पहले तक, लगातार मूव होता कैमरा असल में कहानी को हेल्प करता है. हर सीन में कई-कई एंगल से शॉट्स हैं और फिल्म बहुत तेजी से निकलती है. मतलब कुल मिलाकर शंकर हर 5 मिनट में, जादूगर शंकर की तरह आपको एक नई ट्रिक दिखाने लगते हैं. कहानी के सीरियस होने का पहला एकसास ही इंटरवल के ठीक पहले वाले सीक्वेंस में होता है, जो बहुत दिलचस्प है. 

एक्टिंग परफॉरमेंस हैं दमदार 
राम चरण का काम ‘गेम चेंजर’ की जान है. फ्लैशबैक सीक्वेंस में उनका काम बहुत दमदार है. ये हिस्सा इतना दमदार है जो पूरी फिल्म के, उनके ही काम पर भारी है. हालांकि, राम नंदन के रोल में भी उनका अंदाज दमदार है. शंकर के हीरो के रोल में सबसे महत्वपूर्ण काम होता है अपने स्वैग का स्केल बहुत हाई रखना, ताकि उनकी ट्रिक्स को आप विश्वसनीय तरीके से स्क्रीन पर पेश कर सकें. इस काम में राम चरण पूरे खरे उतरे हैं. 

कियारा के हिस्से सुंदर और चार्मिंग लगने का काम है, जो वो नेचुरली कर लेती है. कमर्शियल मसाला फिल्म के विलेन को एक अतरंगी तरीके से जनता को एंटरटेन भी करना होता है, जो काफी पेंचीदा काम है. लेकिन एस.जे. सूर्या ने इस रोल में कमाल किया है. उनकी बॉडी-लैंग्वेज, आंखें और चाल-ढाल आपका ध्यान खींचे रखते हैं. भले उनकी अपनी आवाज हिंदी डबिंग में कहीं-कहीं अजीब लग रही हो. ‘साइड सत्या’ के रोल में सुनील की कॉमेडी कुछेक जगहों पर मजेदार है और ब्रह्मानंदम का कैमियो भी हंसी का अच्छा डोज लेकर आता है.

कुल मिलाकर ‘गेम चेंजर’ पुराने मसाले को नए चमचमाते पैकेट में बेचने की ट्रिक है. और ट्रिक्स दिखाने में शंकर पुराने उस्ताद हैं ये सब जानते हैं. ये आपको तय करना है कि आप केवल ट्रिक्स के भरोसे, एक पावरफुल पॉलिटिशियन और ईमानदार ऑफिसर का एवरेज फेस-ऑफ पौने तीन घंटे देख सकते हैं या नहीं. 



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