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अरविंद केजरीवाल की चुनौतियां जैसे जैसे बढ़ रही हैं, वे आक्रामक होते जा रहे हैं. मुश्किल ये है कि INDIA ब्लॉक में होते हुए भी आम आदमी पार्टी के सामने कांग्रेस भी वैसी ही चुनौतियां पेश कर रही है, जैसी बीजेपी की तरह से मिल रही हैं. 

कांग्रेस के मुकाबले अरविंद केजरीवाल ज्यादा हमलावर बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ नजर आते हैं, जिसमें कुछ दिनों से उनका फोकस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर शिफ्ट हो गया है. विशेष रूप से दिल्ली की कानून-व्यवस्था को लेकर. कभी महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे हैं, तो कभी दिल्ली में आपराधिक गतिविधियों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय से सवाल पूछ रहे हैं. 

ताजा चिंता बीजेपी नेताओं के झुग्गी बस्तियों में पहुंच जाने से भी है. अरविंद केजरीवाल बीजेपी नेताओं के झुग्गियों में रात बिताने को लेकर काफी सशंकित लगते हैं. लोगों को अलग अलग तरीके से समझाने की कोशिश कर रहे हैं. कहते हैं, बीजेपी वाले जो भी सामान बांटने आयें, ले लेना लेकिन वोट आम आदमी पार्टी को ही देना. 

लेकिन लगे हाथ आगाह भी करते हैं. दिल्ली शराब नीति केस में जेल जा चुके अरविंद केजरीवाल लोगों से कह रहे हैं, ये कुछ भी सामान दें, तो ले लेना… लेकिन दारू मत लेना… दारू बुरी चीज है.

और फिर बीजेपी को सीधे सीधे चैलेंज करते हैं, बीजेपी बताये कि उसका दूल्हा कौन है? उनका मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन है?

बीजेपी अपने तरीके से केजरीवाल को घेरने की हर संभव कोशिश कर रही है. दिल्ली में 8 दिसंबर से बीजेपी की ‘परिवर्तन यात्रा’ शुरू होने वाली थी, उसे भी एक रणनीति के तहत ही टाला गया है – और माना जा रहा है कि बीजेपी अरविंद केजरीवाल के मुकाबले कोई बड़ा चेहरा भी उतार सकती है.

केजरीवाल के निशाने पर शाह

दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए अरविंद केजरीवाल अपने तरीके से अमित शाह को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करते हैं, ‘एक बार अमित शाह कह दें कि कानून-व्यवस्था नहीं सम्भल रही है, तो मेरी बहनें इतनी ताकतवर हैं कि खुद ही सम्भाल लेंगी.

अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि बीजेपी के पास उनके मुकाबले खड़ा करने के लिए कोई चेहरा नहीं है. अगर मनोज तिवारी का चेहरा नजर भी आता है, तो अमित शाह चैलेंज करते हैं कि प्रवेश वर्मा से बहस करके दिखाओ. संघ भी इस बात से चिंतित रहता है कि दिल्ली में बीजेपी स्थानीय नेतृत्व नहीं खड़ा कर पा रही है. संघ के मुखपत्र के जरिये ऐसी सलाहियत भी दी जा चुकी है, ये कहते हुए कि मोदी-शाह हर चुनाव नहीं जिता सकते. 

चुनाव कैंपेन के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा है, मैं बीजेपी से पूछना चाहता हूं… तुम्हारा दुल्हा कौन है? कोई सीएम कैंडिडेट नहीं है, आपके पास.

अगर अरविंद केजरीवाल बीजेपी के बारे में ऐसा कोई ख्याल पाल रखे हैं, तो ठीक नहीं है. हां, राजनीतिक अटैक और काउंटर अटैक की बात और है. हर नेता अपने अपने ऑडिएंस को संबोधित कर रहा है, अरविंद केजरीवाल भी वही काम कर रहे हैं. 

किसी को ये नहीं भूलना चाहिये कि हरियाणा और महाराष्ट्र में भी बीजेपी को कमजोर माना जा रहा था, लेकिन बीजेपी दोनो ही किले फतह कर चुकी है. और, अब तीसरे की तैयारी है. बीजेपी लोकसभा चुनावों के पहले से ही दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. 

केजरीवाल को घेरने का बीजेपी बना रही है प्लान

अभी तक तो खुल कर एक ही चर्चा है कि नई दिल्ली सीट से बीजेपी प्रवेश वर्मा को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उम्मीदवार बना सकती है. ये बात भी प्रवेश वर्मा के हवाले से ही सामने आई है. 

बीजेपी ने अभी तक उम्मीदवारों की सूची नहीं जारी की है. हो सकता है सूची आये तो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सरप्राइज नाम भी सामने आ जाये. हो सकता है, प्रवेश वर्मा की जगह स्मृति ईरानी का नाम देखने को मिले. 

बीजेपी के सदस्यता अभियान के दौरान दिल्ली में स्मृति ईरानी को खासा एक्टिव पाया गया था. तभी दिल्ली के मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर भी उनकी चर्चा भी होने लगी थी. अभी तक ऐसा कुछ औपचारिक तौर पर सामने तो नहीं आया है, लेकिन सुगबुगाहट तो है ही. 

हाल ही में स्मृति ईरानी ने दिल्ली बीजेपी के सीनियर नेताओं से मुलाकात की है. प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा और विजय गोयल के साथ. मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में स्मृति ईरानी कह रही थीं, हम सभी के लिए ये गौरव की बात है. बूथ समिति, मंडल समिति और सभी कार्यकर्ताओं के लिए कि हमें दिल्ली के पहले प्रदेश अध्यक्ष का आशीर्वाद मिला है. 

अब अगर स्मृति ईरानी ये सब करेंगी तो कयास तो लगाये ही जाएंगे. मुख्यमंत्री चेहरा न सही, स्मृति ईरानी के दिल्ली से विधानसभा का चुनाव लड़ने की चर्चा तो शुरू ही हो गई है – और लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी में शिकस्त दे चुकीं स्मृति ईरानी का दिल्ली में विधानसभा का चुनाव लड़ना यूं तो होगा नहीं. 

2024 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को हार का मुंह देखना पड़ा था, और तब से वो फ्रंट पर कम ही सक्रिय देखी जा रही हैं. चुनाव नतीजे आने के बाद विदेशों में कुछ इवेंट में उनके हिस्सा लेने की खबरें और तस्वीरें आ रही थीं, लेकिन उसके बाद से वो दिल्ली में भी पर्दे के पीछे काम कर रही हैं. 

अव्वल तो दिल्ली में बीजेपी की तरफ से प्रवेश वर्मा के अलावा रमेश बिधूड़ी, मीनाक्षी लेखी और डॉक्टर हर्षवर्धन जैसे नेताओं के नाम भी सुनने में आ रहे हैं. डॉक्टर हर्षवर्धन के नेतृत्व में बीजेपी ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन उसके बाद से पार्टी के लिए दहाई का आंकड़ा छूना भी संभव नहीं हो पा रहा है. 

ये तो साफ है बीजेपी अब किरण बेदी जैसा प्रयोग नहीं करने वाली है. मुमकिन है बीजेपी दिल्ली से ही किसी बड़े चेहरे या कई चेहरों को अरविंद केजरीवाल को घेरने का टास्क थमाने वाली है – और ये भी जरूरी नहीं कि इस बार अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा या उनके जैसे नेता अरविंद केजरीवाल को टार्गेट करते नजर आयें.  
 

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By kosi

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