मायावती को SC से बड़ी राहत, 15 साल बाद बंद हुआ मूर्तियां बनवाने के खिलाफ चल रहा केस – Mayawati Relief supreme court disposes of 2009 PIL against installation of her statues in UP lclnt


बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च कर अपनी और अपनी पार्टी के सिंबल हाथी की मूर्तियां बनाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है. इसे लेकर 2009 में एक याचिका दायर की गई थी. तब वे राज्य की मुख्यमंत्री थीं.

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने दो वकीलों रविकांत और सुकुमार – द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अधिकांश याचिकाएं निष्फल हो गई हैं.
पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग (EC) ने इस मुद्दे पर पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं और मूर्तियों की स्थापना पर रोक नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि वे पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं.

मूर्ति से पैसे की बर्बादी का लगा था आरोप
वकीलों की ओर से दायर जनहित याचिका (PIL) में आरोप लगाया गया था कि 2008-09 और 2009-10 के राज्य के बजट से कुल 2,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल केवल मायावती की मूर्ति और चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों को अलग-अलग जगहों पर स्थापित करने के लिए किया गया था.

मायावती ने अपने फैसले को सही ठहराया था
वकील प्रकाश कुमार सिंह के जरिये दायर याचिका में दावा किया गया था कि 52.2 करोड़ रुपये की लागत से 60 हाथी की मूर्तियों की स्थापना न केवल जनता के पैसे की बर्बादी है, बल्कि चुनाव आयोग द्वारा जारी सर्कुलर के भी विपरीत है. 2 अप्रैल, 2019 को मायावती ने अपने फैसले को सही ठहराया था और शीर्ष अदालत को बताया था कि राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर उनकी आदमकद मूर्तियों और बीएसपी के चुनाव चिन्ह का निर्माण ‘लोगों की इच्छा’ का प्रतिनिधित्व करता है.

अन्य सरकारों द्वारा स्थापित मूर्तियों का दिया हवाला
उन्होंने कोर्ट को बताया कि कांग्रेस ने भी अतीत में देश भर में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पी वी नरसिम्हा राव सहित अपने नेताओं की मूर्तियां स्थापित की हैं. उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा मूर्तियां स्थापित करने के हालिया उदाहरणों का भी उल्लेख किया था, जिसमें गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति, जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के रूप में जाना जाता है. 

इसके अलावा, बसपा सुप्रीमो ने कहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी खजाने से अयोध्या में भगवान राम की 221 मीटर ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया है. उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार, स्मारकों का निर्माण और मूर्तियों की स्थापना भारत में कोई नई घटना नहीं है.’ 

उन्होंने अदालत में दायर हलफनामे में कहा, ‘इसी तरह, केंद्र और राज्यों में सत्ता में रहने वाले अन्य राजनीतिक दलों ने भी समय-समय पर सरकारी खजाने से सार्वजनिक स्थानों पर विभिन्न अन्य नेताओं की प्रतिमाएं स्थापित की हैं, लेकिन न तो मीडिया और न ही याचिकाकर्ताओं ने उनके संबंध में कोई सवाल उठाया है.’ 

कोर्ट ने सरकारी खजाने में पैसे जमा करने को कहा था
कोर्ट ने 8 फरवरी, 2019 को कहा था कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न की प्रतिमाएं बनवाने में इस्तेमाल किए गए सार्वजनिक धन की राशि राज्य के खजाने में जमा करानी चाहिए.

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने उस याचिका को खारिज करने की मांग की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सार्वजनिक पैसे का दुरुपयोग किया गया है, उन्होंने कहा कि यह ‘राजनीति से प्रेरित’ है और कोर्ट की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है.



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